लेखनी कहानी -15-Oct-2022 हसीं ख्वाब
छल प्रपंच की दुनिया से ये मन भर गया
झूठ के बोझ तले दबकर इंसान मर गया
फरेब के बियाबान में ईमान कहीं गुम गया है
बेईमानी के सर्फ से काला मन और निखर गया
जिसे देखो वही दोहरी जिंदगी जी रहा है
हंसी होठों पे सजा कर घुट घुट के जी रहा है
हर चेहरे पे अनेक सुंदर मुखौटे सजे हुए हैं
ये शातिराना अंदाज इस दिल को अखर गया
कोई निगाहों से तो कोई आहों से वार करता है
धोखा उन्हीं से खाता है जिन पर ऐतबार करता है
हम भी बड़े नादान थे जो कातिल को मसीहा समझ बैठे
जब चोट दिल पर लगी तो शीशे की तरह बिखर गया
चलो, अंतरिक्ष में चलते हैं वहां पर तो प्यार होगा
सत्य का बोलबाला होगा ना झूठ का व्यापार होगा
कुत्सित मन दूषित तन बेईमानी का धन तो नहीं होगा
ये हसीं ख्वाब देखते देखते वक्त न जाने कब गुजर गया
श्री हरि
15.10.22
Suryansh
20-Oct-2022 11:41 PM
लाजवाब
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Sachin dev
15-Oct-2022 07:07 PM
Nice 👌🏻
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Reena yadav
15-Oct-2022 05:17 PM
👍👍🌺
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